इंदौर। देवी बाई अहिल्या की नगरी आज धर्म प्राण नगरी बन गयी। हो भी क्यो न 20 वर्षो के उपरांत आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज जो पधारे तो चारो और वातावरण मे जय जय कारो की गूंज थी। साक्षात ऐसा लग रहा था कि इंदौर नगरी यह मान रही थी की आज हमारा 20 वर्षो का वनवास समाप्त हो गया। चारों और भक्त ही भक्त नज़र आ रहे थे। लाखो की जनता मानो दर्शन को उमड़ रही हो नमोस्तु नमोस्तु गुरदेव की गूंज थी और कह रहे हो विनती सुन ली गुरुवर ने अब तो होगा चमत्कार अब तो होगा चमत्कार। वही नेता प्रशासन सभी इस अभूतपूर्व बेला मे शामिल रहे मध्यप्रदेश शासन के 11 कैबिनेट मंत्री और इंदौर के 5 विधायक इस बेला मे मोजूद रहे। साक्षात समवसरण देखा जा रहा था, तीर्थंकर का समवसरण भी ऐसा ही होता होगा।
इस अभूतपूर्व आगवानी मे महिला वर्ग केसरिया परिधान मे पुरुष श्वेत वस्त्र मे रहे। जगह जगह तोरण द्वारा रंगोली बनी हुयी थी। मानो इंदौर नगर थम सा गया हो। वही बोहरा समाज द्वारा भी गुरुवर की अभूतपूर्व आगवानी की। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि सम्पूर्ण शहर दीपवाली मना रहा हो। जैसे ही संघ का आगमन उदयनगर मे हुआ, वहां की आगवानी आलोकिक थी जों शब्दो मे नहीं लिखी जा सकती।
कलयुग का मर्यादा पुरषोतम कहा
वही मंच पर प्रतिभामण्डल की बालिकाओ द्वारा अहिल्या लक्ष्मी बाई बनकर आचार्य श्री को नमोस्तु किया। उस समय आचार्य श्री की आशीष मुद्रा और मुस्कान देखते बन रही थी। वही राम लक्ष्मण बनकर आये बच्चो ने आचार्य श्री को कलयुग का मर्यादा पुरषोतम कहा।
आचार्य श्री का आशीर्वचन
आचार्य ने साक्षिप्त आशीर्वचन मे कहा, कार्य करने वाला कार्य करता है एवम अपने धन का सदुपयोग करता है। उन्होने कहा, आपने जिनालय और प्रतिभास्थली जो संकल्प लिया है उसके लिये आप सभी को बहुत बहुत आशीर्वाद है। साथ ही उन्होने कहा नमोस्तु करने से आशीर्वाद मिलता हो ऐसा नहीं है, लेकिन बहुत से लोग तो ऐसे होते है जिनको हमारा आशीर्वाद सदा रहता है। वह लोग तो इशारा हो और पुण्य कार्य मे लग जाते है। साथ ही उन्होने कहा जों कार्य आपने किया है व बहुत ही सराहनीय है।
— अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी