हम मंदिर क्यों जाएं, मंदिर जाने से क्या होता है?


मंदिर जाने से जीवन में अनुशासन आता है…इसलिये

मंदिर जाने से गुणानुरागी प्रवृत्ति बनती है…इसलिये

मंदिर जाने से विनय गुण धारण होता है….इसलिये

मंदिर जाने से सोच पोजिटिव बनती है…इसलिये

मंदिर जाने से पोजिटिव वाईब्रेशन का प्रादुर्भाव होता है….इसलिये

मंदिर जाने से संयमित आचार -व्यव्हार बनता है….इसलिये

मंदिर जाने से समर्पण भाव जागृत होता है-जो भक्ति के लिए प्रेरित करता है..इसलिये

मंदिर जाने से अपने स्वभाव के प्रति रूचि जागृत होती है…इसलिये

मंदिर जाने से अपने लक्ष्य निर्धारण कर-अपना रास्ता चुनने की शक्ति मिलती है…इसलिये

मंदिर जाने से आत्मबल में वृद्धि होती है….इसलिये

मंदिर जाने से व्यक्ति स्वाबलंबी बनता है..इसलिये

मंदिर जाने से समाज के प्रति …गुरुओ के प्रति आस्था बनती है…इसलिये

मंदिर जाने से पापभीरुता बढती है….इसलिये

मंदिर जाने से पाप कार्यों से बचना हो जाता है….इसलिये

मंदिर जाने से पुण्यार्जन होता है…इसलिये

मंदिर जाने से समाज में विश्वसनीयता बढती है…इसलिये

मंदिर जाने से जीवदय के प्रति भाव जागृत होते है….इसलिये

मंदिर जाने से कषाय मंद होती है…इसलिये

मंदिर जाने से साधर्मी के प्रति वात्सल्य एवम त्यागियों के प्रति बहुमान विकसित होता है..इसलिये

मंदिर जाने से तत्व रूचि बढ़ती है…इसलिये

मंदिर जाने से कृतत्व बुद्धि का प्रभाव घटता है ….इसलिये

मंदिर जाने से अहंकार का आभाव होता है…इसलिये

मंदिर जाने से शांति प्राप्त होती है…मन आनंदित होता है….इसलिये

मंदिर जाने से संसार से विरक्त भाव बनते है–मोक्ष मार्ग पर आरूढ़ होने के प्रति भाव बनते है..इसलिये

मंदिर हमारी दैनिक जीवन चर्या का हिस्सा बने….

— Anjali Jain


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