धर्म के दसलक्षणों मै उत्तम आर्जव धर्म क्रमशः तृतीय व विलक्षण दसलक्षण है ।

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उत्तम आर्जव धर्म का सामान्यतः यह तात्पर्य है की उत्कृष्ट रूप से जीवन मै सरलता ।। आर्जव अर्थात “सरलता ” ।।

जो जीव माया कषाय के आधीन होते हैं उनके वचन मै कुछ ,काया मै कुछ ,और क्रिया मै कुछ इस तरह का छल कपट उनके रहता है और छल कपटी जीव के जलन ईर्ष्या निंदा इत्यादि के परिणाम अधिक पाये जाते हैं इसलिए उसके सरलता का अभाव पाया जाता है । इसलिए छल कपट के अभाव पूर्वक ही आर्जव धर्म की व्यवहार मै प्रगटता कही है ।

आज जैसी दशा मनुष्य की है और जितनी जड़ता उसमें दिखती है वैसी दूसरे प्राणियों की नही है । मानव की इस हीन स्थिति का कारण क्या है ? क्या इतनी जड़ता या वक्रता मनुष्य को परमात्मा से सम्बंध रखने देगी । परमात्मा से सम्बंध रखना अर्थात अपने अंदर की वक्रता को मिटा देना । जो साधन अनुभूतियां चैतन्य आत्मा के दर्शन कराने वाले हैं उन साधनों अथवा अनुभूतियों मैं संलग्न हो जाएं । वक्रता से पीड़ा है, संताप है और अंधकार है । आत्मा उत्तम आर्जवधर्म स्वभावी जिसमें आनन्द है , मुक्त स्वतंत्र आनन्द यात्रा है ।।

सरल परिणामों वाले जीव को  ही वास्तव मै सुख की अनुभूति प्रगट हो सकती है क्योंकि कषाय परिणामी जीव आत्मा को नही समझ सकता और जब वह आत्मा को नही समझ सकता तब वह यह कैसे ज्ञात कर सकता की आत्मा आर्जव धर्म स्वभावी है ??? अतः इसलिए निश्चय से आत्मा आर्जव धर्म स्वभावी है उसकी पहिचान करने से अंतरंग परिणति मै उत्तम आर्जव धर्म की प्रगटता कही है ।

आचार्य कार्तिकेय स्वामी कहते हैं-जो कुटिल विचार नही करता, कुटिल वचन नही बोलता,कुटिल कार्य नही करता तथा समता का भाव रखता है उसे उत्तम आर्जव धर्म की प्राप्ति होती है।
कविवर पंडित टेकचन्द जी कहते हैं –

सरल भाव सारै सरस, सुरनर पूज्य महान ।
तातैं तजनी कुटिलता, आर्जव भाव लहान ।।

अतः जिनके जीवन मै सरलता होती है वह ही देवों के द्वारा पूज्यनीय महापुरुष होते हैं ।। इसलिए आर्जव धर्म को महान कहा गया है क्योंकि जो इसको प्रगट कर लेता है वह सदाकाल के लिए सहज सुखी हो जाता है ।।

अतः प्रत्येक जीव आज के पवित्र दिवस के अवसर पर अपना आत्मा उत्तम आर्जव धर्म स्वभावी है यह ज्ञात करके अपनी अंतरंग परिणति मै उत्तम आर्जव धर्म प्रगट करके निरन्तर सुखानुभूति करे और शीघ्र मुक्ति की प्राप्ति करें ।

इसी भावना के साथ बोलिये

“उत्तम आर्जव धर्म की जय”

 

— Neeraj Jain Delhi


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