सबसे पहले गरीब और भिकारी मे अंतर समझ लेवे । गरीब वो व्यक्ति जो कार्य तो करता हैं, पर परिस्थितिवश मेहनत करके भी अपना और अपने परिवार का भरण पोषण नही कर पाता। जो हाथ पैर और शरीर से लाचार हो। भिकारी वो जो स्वस्थ हैं पर काम कुछ नही करता, अगर आज की भीख मिल भी जाए तो कल के लिये भी हर किसी से माँगता ही रहता हैं ।
बचपन में एक कहानी पढी थी एक व्यक्ति बहुत दुखी रहता था उसकी हमेशा ईश्वर से शिकायत रहती थी कि ईश्वर ने उसे कुछ नहीं दिया एक दिन ईश्वर एक सामान्य आदमी का भेष धर कर आए और कहा कि तुम मुझे एक हाथ दे दो मैं तुम्हें एक लाख दूगा तो उसने कहा कि फिर मैं क्या करूगा तो फिर बारी बारी से शरीर के हर अंग ऑख पैर इत्यादि मॉगने लगे उसने कहा कि उसके अंगों का मोल पैसे से नहीं लगाया जा सकता तब जाकर उसे समझ में आया कि उसे इतना सही सलामत अनमोल शरीर मिला है तब मैं काम क्यों नहीं कर सकता।
आज जब हम किसी दिव्यांग को देखते हैं जो कि हाथ पैरों में अपंगता होने के बावजूद , नेत्रहीन होने के बावजूद एक ठसक और स्वाभिमान से जाते हुए दिख जाएग ।इसके विपरीत कुछ ऐसे लोग जिनके हाथ -पैर सही सलामतहै जो भीख मॉगते और गिडगिडाते दिख जाएगे भीख मॉगना इनका पेशा बन चुका है और न देने पर कभी -कभी कोसते हुए और बद्दुआ देने पर भी बाज नहीं आते।
आज भी कई स्वस्थ लोग भगवान की फोटो लेकर, चादर लेकर बस, ट्रेन,धार्मिक स्थलो पर भीख मांग रहे हैं ।
दरअसल हमने ये भीख देने के संस्कार डाल रखे हैं, जब कोई बच्चा भीख हेतु हाथ बढ़ाता हैं, तो हम खुद उसे कुछ दे देते हैं, और धीरे धीरे उसकी आदत मांगने पर ही जाती हैं।जब हम बुनियाद को बदल देंगे तो स्तम्भ भी बदल जायगा ।
इस बात का भय मत रखे की भगवान क्या पाप और पूण्य देगा,इस बात की सोच रखे की क्या हम एक बच्चे को जो कल का भविष्य हैं उसे सही मार्दर्शन देगे या कल का भिकारी बना देगे ।
पिछले दिनों एक किन्नर पहली बार टेक्सी चालक बना दाद देनी चाहिए ऐसे लोगों की भीख मॉगने वाले सही सलामत व्यक्ति को सरकार के साथ हम भी किसी मेहनतकश कार्य में लगाए तो इनकी संख्या में भी कमी आएगी और लोगों को भी ऐसे लोगों को भीख देकर बढावा नहीं देना चाहिए ऐसे लोगो ने खुद उनका सम्मान कर हौसला बढाया है ऐसे लोगों से हाथ पैरों वाले भी कुछ सबक लेना चाहिये ।
आपसे निवेदन हैं की बच्चों को भीख ना देकर उन्हें कार्य हेतु उत्साहित करे, क्योंकि यदि बच्चा भीख मांगने की आदत मै पढ़ गया और जब भीख नही मिली तो वही
बच्चा चोरी की आदत मे भी पढ़ जायगा, और चूँकि आदत आपने बिगाड़ी हैं तो अनजाने रूप मे आप भी दोषी कहलाओगे ।
By: हंस जैन, खण्डवा