जैन विचार


जैन बंधुओं
-कभी भी माँस-अण्डा नहीं खाना!
-कभी भी शराब नहीं पीना!
-कभी भी जुआ नहीं खेलना!
-कभी भी चमड़े/leather से बने कपड़े,बेल्ट,पर्स आदि का इस्तेमाल नहीं करना!
-कभी भी चोरी नहीं करना!
-कभी भी सिगरेट/cigarette,गुटका,तंबाकू/Tobacco नहीं खाना!
-कभी भी किसी भी स्त्री या अपने माता-पिता के साथ दुर्व्यवहार नहीं करना!
-कभी भी पटाखे/crackers नहीं फोड़ना!

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-दिखावे में मत उलझना!
-कोशिश हमेशा घर का बना हुआ भोजन
लेने की ही करना!
-घर में प्यार-प्रेम का वातावरण बनाना,बच्चे आप से अपनी दिल की बात करें ऐसा माहौल होना चाहिए घरों में!
-बड़ों का सम्मान हो,उनकी सेवा करना,कोई बात हो तो प्यार से कहना!
-बच्चों को सही-ग़लत की पहचान करना सिखाना,अपने बच्चों को गुरुओं से जोड़ें!
-हर रोज़ घर का हर सदस्य पास वाले जैन धर्म स्थान में जाए!
-गुरु का प्रवचन सुनना,उनके विहार में उनके साथ जाना,उन्हें निर्दोष आहार देना!
-कोई एक नियम तो ऐसा लेना जिसका पूरी ज़िंदगी मन से पालन करो!
-औरों को भी जैन धर्म से जोड़ना!

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“जैन-कुल” मिला है, इसे सार्थक कीजिये”

“”अपने को दुःख होता है,उसमें तो आप कहते हो की मुझे बचाए कोई पर जब आप दूसरों  को दुःख देते हो तो आपको उनका दर्द महसूस नहीं होता!”””
जैसे आप दुःख नहीं चाहते हो, वैसे ही इस संसार में कोई भी जीव दुःख नहीं चाहता, इसलिए अपना जैन धर्म अहिंसा को परम धर्म मानता है!
जय जिनेंद्र


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