अशोक स्तंभ में जैन धर्म से मिलती हुई चीजें


अभी हाल मे ही नये संसद भवन में अशोक स्तंभ का अनावरण हुआ, 11 वे तीर्थंकर भगवान श्रेयांसनाथ की जन्मभूमि सारनाथ है जो बनारस से 11 किलोमीटर पूर्व में स्थित है। सारनाथ में अशोक स्तंभ बना हुआ है, जिसमें शेर बने हुए हैं जो भगवान महावीर का प्रतीक चिन्ह दर्शाते हुऐ दिखते है।अशोक सम्राट को बताया जाता हैं कि उसने बौद्ध धर्म स्वीकार किया था और अशोक चक्र भी वही से लिया गया हैं।
क्या कोई बता सकता हैं बौद्ध धर्म में शेर का क्या महत्व हैं जबकि जैन धर्म में शेर भगवान महावीर का चिन्ह रहा हैं। इसके अतिरिक्त शेर के नीचे, बैल हाथी घोड़ा ये तीन चिन्ह क्रम से हैं जो पहले दूसरे और तीसरे तीर्थंकरों के चिन्ह है । इनतीनो चिन्हों का बौद्ध धर्म से क्या लेना देना है।तीसरा अशोक चक्र में 24 तिल्ली हैं , तीर्थंकर भी चौबीस होते हैं, बौद्ध धर्म में इसका कोई उल्लेख या महत्व नही है। इसको देखते हुऐ लगता है की अशोक सम्राट भी जैन धर्म से प्रभावित हुऐ होगे।
अशोक स्तंभ की स्थापना के समय पीएम मोदी, शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी और लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला पहुंचे थे। यह अशोक 20 फीट से ज्यादा ऊंचा है। इस स्तंभ को क्रेन के जरिए भवन के ऊपर स्थापित किया गया।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन की छत पर बने राष्ट्रीय प्रतीक का सोमवार को अनावरण किया। अधिकारियों ने बताया कि कांस्य का बना यह प्रतीक 9,500 किलोग्राम वजनी है और इसकी ऊंचाई 6.5 मीटर है।  इस स्तंभ का निर्माण दो हजार से ज्यादा कर्मचारियों ने किया है। इस नए संसद भवन में 1224 सदस्य बैठेंगे। इस भवन का निर्माण दिसंबर 2022 तक पूरा कर लेने की योजना है।
बताया जा रहा है कि यह नया संसद भवन शीतकालीन सत्र के दौरान बनकर पूरी तरह तैयार हो जाएगा।तस्वीर में राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ के तीनों शेर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं। इस नए संसद भवन के निर्माण में करीब 1000 करोड़ रुपए की लागत आई है। नए संसद परिसर के बन जाने के बाद पुराने संसद भवन को संग्रहालय में तब्दी कर दिया जाएगा। नए संसद भवन में निर्माण का काम लगभग पूरा हो चुका है। भवन परिसर में साज-सज्जा काम बचा हुआ है जिसे दिसंबर के पहले पूरा कर लिया जाएगा। पीएम मोदी ने ही इस नए संसद परिसर का भूमि पूजन किया था। पुराने संसद भवन का निर्माण अंग्रेजों के समय हुआ था।
— नीति सौरभ जैन

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