संतत्व से सिद्धत्व के अविराम यात्री Acharya Vidyasagar जी महाराज


मूकमाटी के रचयिता हैं आचार्य श्रेष्ठ विद्यासागरजी महाराज

सम्पूर्ण देश मना रहा है संयम स्वर्ण महोत्सव वर्ष

हमारा सौभाग्य कि हमने इस युग में जन्म लिया

“गोदाम नहीं गौधाम चाहिए

भारत अमर बने ,अहिंसा नाम चाहिए।

घी, दूध,मावा निर्यात करो,

राष्ट की पहचान बने ऐसा काम चाहिए।

जो हिंसा का विधान करें ,वह सच्चा संविधान सार नहीं

जो गौवंश काट मांस निर्यात करें ,वह सच्ची सरकार नहीं ”

वर्तमान युग के महावीर आचार्य श्रेष्ठ 108 विद्यासागर जी महाराज का 50 वां मुनिदीक्षा दिवस सम्पूर्ण देश संयम स्वर्ण महामहोत्सव वर्ष के उपलक्ष्य में मना रहा है ,आचार्य श्रेष्ठ साक्षात पंचम युग के साक्षात भगवान महावीर जैसे दिखते हैं,उनकी चर्या को देखकर हजारों लोग आश्चर्य चकित रह जाते ।जिनकी चर्या का गुणगान आज सम्पूर्ण भारत देश गा रहा है। आचार्य श्री को दीक्षा के 50 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं,उनका दीक्षा दिवस सम्पूर्ण देश संयम स्वर्ण महामहोत्सव वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है ।आचार्य श्री के संयम स्वर्ण महामहोत्सव वर्ष के उपलक्ष्य में कीर्ति स्तम्भ भी लगाये जा रहे हैं।

गुणायतन परिवार स्थापित करेंगा 1008 कीर्ति स्तम्भ:– आचार्य श्रेष्ठ विद्यासागर जी महाराज के प्रियांग शिष्य मुनि श्री 108 प्रमाण सागर जी महाराज की प्रेरणा से देश के अलग -अलग शहरों में लगभग 108 कीर्ति स्तम्भ स्थापित किऐ जा रहे हैं जिससे आचार्य श्री के नाम का सम्पूर्ण जग याद रख सके ,यह अनूठी पहल गुणायतन परिवार ने उठायी है।

देश के शीर्षस्थ राजनीतिज्ञ पहुंचे आचार्य श्री के चरणों में- आचार्य श्री के चरणों में आचार्य श्री के दर्शनार्थ देश के शीर्षस्थ भी उनके आशीर्वाद के लिए पहुंचे , वर्ष 2003 में देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटलविहारी बाजपेयी,उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत,स्पीकर सुमित्रा महाजन,भोपाल में वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ,अमित शाह ,मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमनसिंह व अनेक केंद्रीय मंत्री सहित देश के महान शीर्षस्थ भी आचार्य श्री के दर्शनार्थ पहुंचे।

तीर्थोंद्धारक हैं आचार्य श्रेष्ठ:- आचार्य श्री की प्रेरणा से नवोदित तीर्थक्षेत्रों का निर्माण कार्य चल रहा है व तीर्थक्षेत्र स्थापित भी हो चुके हैं छत्तीसगढ़ के अमरकंटक में सर्वोदय तीर्थक्षेत्र व चंद्रगिरि डोंगरगढ, मध्यप्रदेश के भाग्योदय तीर्थक्षेत्र सागर,दयोदय तीर्थक्षेत्र जबलपुर, सिद्धोदय तीर्थक्षेत्र नेमावर,आदि तीर्थस्थल हैं इनके भी अतिरिक्त अनेक तीर्थक्षेत्रों पर आचार्य श्री के आर्शीवाद से जीर्णोद्धार के कार्य चल रहे हैं।

बेटी बचाओं-बेटी पढाओं अभियान- आचार्य श्री की प्रेरणा से बेटियों की शिक्षा को ऊंचाइयों पर ले जाने के उद्देश्य से बालिकाओं की शिक्षा के लिए प्रतिभास्थली का निर्माण भी किया गया है जिसमें जैन समाज की बेटियां अध्ययन कर रही हैं व अपनी प्रतिभा को निखार रही हैं ,आचार्य श्री का सपना है कि बेटियों की शिक्षा अलग हो व बेटों की शिक्षा अलग हो उसी उद्देश्य को लेकर आज छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ, महाराष्ट्र के रामटेक,मध्यप्रदेश के जबलपुर शहरों में प्रतिभास्थली बनाई गई हैं जिसमें बेटियों को धार्मिक व नैतिक शिक्षा के साथ-साथ आत्म स्वावलम्बी बनने की शिक्षा दी जा रही है।आचार्य श्री का सपना भी साकार हो रहा है।

अलौकिक कृतित्व गुरुवर के- आचार्य श्री दिव्य तेजोमय आभा मंडल के प्रभाव से उच्च शिक्षित युवा ,युवतियां जवानी की दहलीज पर आप श्री के चरणों में सर्वस्य समर्पित कर बैठे जिसमें भारत देश के 10 राज्यों के युवक -युवतियों ने जैनेश्वरी दीक्षा धारण कर ली है ,जो आपके चतुर्विध संघ में 120 दिगम्बर मुनि,172 आर्यिकाऐं,56 ऐलक ,64 क्षुल्लक,03 क्षुल्लिकाऐं एवं व्रह्मचर्य व्रत लेकर सैकड़ों श्रावक व श्राविकाएं अपने मानव जीवन को सार्थक कर रहे हैं।

50 हजार किलोमीटर की कर चुके पद यात्रा- आचार्य श्रेष्ठ  लगभग 50 हजार किलोमीटर की पद यात्रा कर चुके हैं उन्होंने राजस्थान,उत्तर-प्रदेश,मध्यप्रदेश, बिहार,बंगाल, उडीसा, छत्तीसगढ़, झारखंड,गुजरात,, बुंदेलखंड की पदयात्रा कर राष्ट्रीयता व मानवता की की पहरेदारी में कदम दर कदम आदर्श पदचिन्हों को स्थापित किया है।

 आचार्य श्रेष्ठ का वैशिष्टय – धर्म दर्शनविज्ञ,साहित्यकार, सिद्धान्वेत्ता,आध्यात्मिक प्रवचनकार,भारतीत्र संस्कृति के मर्मज्ञ,राष्ट्रीय चिंतक ,जैनमुनि संहिता के तपस्वी साधक आचार्य श्रेष्ठ विद्यासागरजी महाराज ही हैं ,उनका चर्या का गुणगान भारतवासी तो करते ही हैं, उनकों मानने वाले विदेशों में आचार्य श्री का गुणानुवाद करते हैं।

महापुरुष का सार्वभौमिक कृतित्व -आज तक के इतिहास में किसी भी संस्कृत भाषा के विद्वान ने पांच साहित्य से ज्यादा संस्कृत भाषा में नहीं लिखे हैं किंतु आचार्य श्रेष्ठ विद्यासागर जी महाराज ने अपनी लेखनी से संस्कृत भाषा में सात शतक लिखे है जिसका वर्तमान गबाह है ,उनका कृतित्व सार्वभौमिक है ,ज्ञान,ध्यान, तप,के यज्ञ में आपने स्वयं को ऐसा आहूत किया कि अल्पकाल में ही प्राकृत ,संस्कृत, अपभ्रंश, हिंदी, अंग्रेजी, मर ठी,कन्नड़ भाषा के मर्मज्ञ साहित्यकार के रुप में प्रसिद्ध हो गये।आपने प्राचीन जैनाचार्यों के 25 प्राकृत संस्कृत ग्रंथों का हिंदी भाषा में पद्यानुवाद कर पाठकों को समरसता प्रदान की है।

महाकवि आचार्य श्री विद्यासागर की हाइकू का आध्यात्मिक सौंदर्य:-

आचार्य श्री इन दिनों जापानी भाषा की कविता हाइकू पर रचनाऐं कर रहे हैं जो एक रोचक कविता का रुप ले रहीं हैं ,हाइकू जापानी छंद की कविता है। इसमें पहली पंक्ति में 5अक्षर,दूसरी पंक्ति में 7अक्षर,तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर हैं। महाकवि आचार्य श्रेष्ठ विद्यासागरजी महाराज ने लगभग 500 हाइकू लिखे हैं,जो अभी अप्रकाशित हैं।आचार्य श्री की हाइकू अन्य रचनाकारों की हाइकू से बिल्कुल पृथ्क नजर आई,जिसका बहुत बडा़ कारण है संयममय जीवन।उनकी अनुभूतियों से निष्पन्न जापानी छंद हाइकू की ये रचनाऐं उन्हें विश्व के विशाल पटल पर स्थापित करती हैं।

पत्राचार पाठ्यक्रम से मिलेगा आचार्य श्री का जीवन दर्शन:-

आचार्य श्रेष्ठ विद्यासागरजी महाराज के व्यक्तित्व व कृतित्व को जानने के लिए संयम स्वर्ण महोत्सव वर्ष के उपलक्ष्य में पत्राचार पाठ्यक्रम तैयार किया गया है जिसका अध्ययन करके हम आचार्य श्री जीवन चरित्र को पढ सकते हैं ,पत्राचार पाठ्यक्रम आनलाइन फार्म भरकर वेवसाइट विद्यासागर डोंट गुरू पर जाकर आनलाइन आवेदन कर आचार्य श्री के जीवन दर्शन की झलकियां पढकर हम अपने जीवन में उतार सकते हैं,विद्यापीठ सागर के द्वारा इस पत्राचार पाठ्यक्रम में पुरस्कार का प्रावधान रखा गया है।

आचार्य श्रेष्ठ के सपनों को करना है साकार :-

आचार्य श्रेष्ठ विद्यासागर जी महाराज ने लोगों को प्रेरित किया है कि वह अपने भारत देश की इस पवित्र धरा को कैसे सजों सकते हैं ,आचार्य श्री ने मानव जीवन में अपनाने हेतु सूत्र दिए हैं जिनके द्वारा हमारे देश व समाज का विकास होगा।

भारत में भारतीय शिक्षा पद्धति लागू की जाए।

अंग्रेजी नहीं भारतीय भाषा में हो व्यवहार ।

छात्र-छात्राओं की शिक्षा पृथक हो ।

विदेशी गुलामी का प्रतीक इंडिया नहीं भारत कहों ।

हथकरघा केंद्र स्वावलंबन बनने का सोपान है।

भारत देश की मर्यादा है -साडी

दयोदय गौशालाएं हैं जीवंत कारखाना है।

मांस निर्यात भारत देश पर कलंक है।

आचार्य श्री के सपने को साकार करने में हजारों युवा लगे हुए हैं ,हमसब मिलकर आचार्य श्रेष्ठ के 50 वें संयम स्वर्ण महामहोत्सव वर्ष के उपलक्ष्य में अपने गुरुदेव के सपनों को साकार करें तभी हम सबका संयम स्वर्ण महामहोत्सव वर्ष मनाना सार्थक होगा ।

  • पुष्पेंद्र कुमार जैन

 


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