दूसरे तीर्थंकर अजितनाथ जी हैं। अजितनाथ जी का जन्म पवित्र नगरी अयोध्या के राजपरिवार में माघ के शुक्ल पक्ष की अष्टमी में हुआ था। इनके पिता का नाम जितशत्रु और माता का नाम विजया था। प्रभु अजितनाथ का चिह्न हाथी था।
अजितनाथ जन्म से ही वैरागी थे, लेकिन पिता की आज्ञानुसार उन्होंने पारिवारिक जीवन और राज्य का दायित्वों का भी वहन किया। कालान्तर में अपने चचेरे भाई को राज पाठ का भार सौंपकर अजितनाथ जी ने प्रवज्या ग्रहण की।
माघ शुक्ल नवमी के दिन उन्होंने दीक्षा प्राप्त की थी। इसके पश्चात बारह वर्षों की कड़ी साधना कर अजितनाथ जी को “केवल ज्ञान” की प्राप्ति हुई थी। धर्मतीर्थ की रचना कर तीर्थंकर पद पर विराजमान हुए। जैन मान्यतानुसार चैत्र मास की शुक्ल पंचमी के दिन ‘सम्मेद शिखर’ (सममेट शिखर) पर प्रभु अजितनाथ जी को निर्वाण प्राप्त हुआ।
Heaven | Vijayavimana |
Birthplace | Ayodhya |
Diksha Place | Samed Shikharji |
Father’s Name | Jitashatru |
Mother’s Name | Vijayamata |
Complexion | Golden |
Symbol | elephant |
Height | 450 dhanusha |
Age | 7,200,000 purva |
Tree Diksha or Vat Vriksh | (Shorea robusta) |
Attendant spirits/ Yaksha | Mahayaksha |
Yakshini | Ajitabala |
First Arya | |
First Aryika | Phalgu |