पिसनहारी मढ़ियाजी मन्दिर मध्यप्रदेश में जबलपुर जिले के ग्राम पुरवा में पहाड़ी पर स्थित है । इस मन्दिर की स्थापना से एक रोचक तथ्य जुडा हुआ है । इसके अनुसार लगभग 600 वर्ष पूर्व क्षेत्र के आसपास एक निर्धन महिला रहती थी । इस महिला की इच्छा एक मन्दिर जी बनाने की हुई परन्तु महिला के पास धन नहीं था। अपनी इच्छा को पूरा करने के लिये महिला ने गेहूँ पीसा और गेहू पीसने से जो धन आया उसका संचय किया।
महिला की इच्छा शक्ति और मेहनत रंग लाई और एक भव्य जिनालय का निर्माण वर्ष 1442 में किया गया । महिला को श्रमदेवी भी कहा जाता है। आज भी मन्दिर की शिखर पर उन चक्की पाट रखे हुये है । यह क्षेत्र किसी भक्त की अपने भगवान पर आस्था, इच्छा शक्ति का प्रतीक है । साथ ही यह क्षेत्र यह प्रेरणा भी देता है कि यदि किसी कार्य को करने की इच्छा यदि कोई व्यक्ति कर ले तो वह छोटे से कार्य भी बडा कार्य पूरा किया जा सकता है । क्षेंत्र पर मूलनायक प्रतिमा श्री पार्श्वनाथ भगवान की है ।
क्षेत्र में बाद में 13 मन्दिरों का निर्माण किये गये और इसतरह वर्तमान में कुल 14 मन्दिर है तथा चौबीसी का भी निर्माण किया गया है। क्षेत्र पर भव्य नंदीश्वर द्धीप की भी रचना बनाई हुई हैं। पहाडी पर विद्युतसज्जा के साथ मन मोह लेने वाले फव्वारे व बगीचा भी है।
क्षेत्र पर अन्य कई जनकल्याणकारी गतविधियां अनेक संस्थाओं द्वारा की जा रही है । जिनमें गुरूकुल, वृद्वाश्रमक, औषधालय आदि प्रमुख है। क्षेत्र पर आवास व भोजनालय की व्यवस्था है।
पर्युषण पर्व के बाद पंचमी के बाद अभिषेक होता हैं यहाँ पर मेला का आयोजन बृहद रूप से होता हैं जिसमे आस पास के क्षेत्र के लोगो सम्मिलित होते हैं। पहाड़ पर चढ़ने के लिए सीढ़ियां और पर्वत से भी जा सकते हैं। पिसनहारी मढ़िया के सामने सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज हैं। यहाँ पर आचार्य विद्यासागर जी महाराज की प्रेरणा से नंदीश्वर द्वीप मंदिर का निर्माण किया गया था। इस समय गुरुकुल के साथ विद्यालय भी संचालित हैं।
— डॉक्टर अरविन्द पी जैन