शाहपुरा (जयपुर) से अलवर जाते समय उत्तर-पूर्व की तरफ 25 किलोमीटर दूर विराट नगर के पास अरावली पर्वतमाला के बीच यह दिगम्बर जैन मन्दिर स्थित है। विराट नगर का महाभारत में उल्लेख है, तथा यह प्राचीन महाजनपद मच्छ या मत्स्य की राजधानी भी रहा है।
मन्दिर का निर्माण 16वीं शताब्दी में कराया गया था। निर्माण कला मुगलकालीन है और यह सफेद संगमरगर से बना हुआ है। मूल प्रतिमा भगवान पार्श्वनाथ की है । मन्दिर में मूलनायक प्रतिमा के अतिरिक्त 2 अन्य बड़ी पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा भी है। वर्तमान में मूल मन्दिर के बाहर भट्रक जी की चरण छतरियां, चौबीसी तथा तथा चार कोनों पर 4 पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा तथा कीर्ति स्तम्भ है। यह क्षेत्र अतिशय क्षेत्र है।
मन्दिर चारों ओर पहाड़ियों से घिरे होने के कारण बड़ा ही सुन्दर लगाता है। यहां आंवले व अन्य पेड़ लगाये गये हैं, जिससे मन्दिर की सुन्दरता और बढ़ती है। मन्दिर में सशुल्क रूकने व भोजनालय की व्यवस्था है।
मन्दिर में दर्शन का समय: सुबह 5 बजे से रात्रि 8 बजे तक
श्रीजी के अभिषेक सुबह 6 बजे
श्रीजी की आरती ऋतु के अनुसार सायंकाल
ऋतु के अनुसार समय में परिवर्तन हो सकता है।
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