चंद्रकला उत्तर भारत की बहुत ही प्रसिद्ध और पारंपरिक मिठाई है.
चंद्रकला, गुझिया के जैसी ही होती है स्वाद में लेकिन यह देखने में अलग है क्यों कि गुझिया अर्ध चंद्राकार होती है
जब कि चंद्रकला पूर्ण चंद्राकार यानी कि गोल होती है.
मैदे के खोल में खोए की भरावन भर कर फिर उसे शुद्ध देशी घी में तल कर बनाई जाती है चंद्रकला.
चंद्रकला बनाना एक कला है
और इसको बनाने के लिए धीरज की ज़रूरत होती है,
वैसे इसे बनाना कठिन नही है.
तो इस बार आप भी होली के पावन पर्व पर बनाएँ चंद्रकला.
हमेशा की तरह अपने विचार ज़रूर लिखें.
सामग्री 20 चंद्रकला के लिए:
भरावन के लिए
खोया/मावा250 ग्राम
सूजी 2 बड़े चम्मच
चिरौंजी 2 बड़े चम्मच
नारियल का बुरादा ¼ कप/ 50 ग्राम
हरी इलायची 5-6
शक्कर 200 ग्राम/ ¾ कप
घी 1 बड़ा चम्मच
सामग्री गुझिया की बाहरी परत के लिए:
मैदा 2 कप
घी
6-7 बड़ा चम्मच पानी आटा गूथने के लिए
सामग्री चाशनी के लिए:
शक्कर 1 कप
पानी 3/4 कप
पिसी इलायची ¼ चम्मच
केसर 5-6 धाग
घी तलने के लिए
मैदा का घोल:
1 बड़े चम्मच में 2 बड़े चम्मच पानी डालिए और अच्छे से मिलाइए
बारीक कटे पिस्ता, चंद्रकला को सजाने के लिए
भरावन बनाने की विधि :
हरी इलायची का बाहरी छिलका निकालें और दानों को दरदरा कूट लें.
एक कड़ाही में मध्यम आँच पर घी गरम करें.
अब इसमें सूजी को गुलाबी होने और खुश्बू आने तक भूनें.
अब इसमें नारियल का बुरादा (घिसा/कद्दूकस करा नारियल भी डाल सकते हैं) डालें और एक मिनट भूनें.
अब खोया/ मावा डालें और दो मिनट के लिए भूने.
आँच बंद कर दें और
खोए को ठंडा होने दें.
जब खोया हल्का गुनगुना गरम हो तो उसमें शक्कर, केसर, इलायची, और चिरौज़ी डालें और अच्छी तरह से खोए में मिलाएँ.
भरावन अब तैयार है.
चाशनी बनाने की विधि :
एक बर्तन में एक कप शक्कर और तीन चौथाई कप पानी उबालिए.
शक्कर के पिघलने के बाद और एक उबाल आ जाने के बाद आँच को धीमा कर दें
और चाशनी को पकने दें.
इस मिठाई के लिए हमें एक तार की चाशनी चाहिए.
एक तार की चाशनी को जाँचने के लिए अपनी दो उंगलियों के बीच में एक बूँद चाशनी को लेकर खीचिए,
अगर उंगलियों के बीच में एक तार बनें तो चाशनी बिल्कुल ठीक है.
आँच बंद कर दें और चाशनी में पिसी इलायची और केसर डालें.
चंद्रकला के लिए:
एक परात/ कटोरे में मैदा, और गरम घी लें.
घी को मैदे में अच्छे से मिला हथेली में रगड़ें. मिलाने के बाद आप देखेगें की मोयन की वजह से मुट्ठी में भरने पर मैदा का लड्डू जैसा बँध जाता है.
यह इस बात कि पहचान है कि मोयन ( घी/ तेल)एकदम ठीक मात्रा में है.
अब थोड़ा-थोड़ा पानी डालते हुए कड़ा आटा गूँथ लें.
गुथे आटे को गीले कपड़े से ढककर 15-20 मिनट के लिए ढककर रखें.
15-20 मिनट के बाद आप देखेंगें कि आटा काफ़ी चिकना हो जाता है.
अब इसको 40 बराबर भागों में बाट लें.
लोई को हथेली के बीच घुमा कर चिकना कर लें.
अब कुछ लोई लें और इनको लगभग 1½-2 इंच की गोलाई में बेल लें.
अब एक बिली हुई लोई लें,
इसके किनारे पर मैदा और पानी का बनाया हुआ पेस्ट लगाएँ.
इसके बीच में 1 बड़ा चम्मच खोया की भरावन रखें.
अब इसके ऊपर एक दूसरी बिली परत रखें और दोनों साइड्स को दबाकर इसे अच्छे से बंद कर दें.
अगर आप चाहें तो इसे बंद करने के बाद चंद्रकला के साँचे में रखकर किनारे पर डिज़ाइन बना लें या फिर कटे किनारे वाली चम्मच से डिज़ाइन बनाएँ.
मेरे पास इन दोनों में से कुछ भी नही है तो मैने अंगूठे और उंगली से गोठ कर कंगूरे बनाए हैं.
इसी प्रकार से सभी चंद्रकला भरकर बना लें.
लोई, बिली लोई, और भरी हुई चंद्रकला को गीले कपड़े से ढककर रखें जिससे कि यह सूखे नही.
अब एक कड़ाही में धीमी आँच पर घी गरम करें.
अब इसमें हल्के से कुछ चंद्रकला डालें.
यह आपकी कड़ाही के आकर पर निर्भर करता है कि आप कितनी चंद्रकला एक बार में तल सकते है.
चंद्रकला को घी में डालने के लगभग 3-4 मिनट बाद उनको घी में आहिस्ता से पलटें. चंद्रकला को गुलाबी- लाल होने तक तलें.
इस प्रक्रिया में कुल मिलाकर 15-20 मिनट का समय लगता है.
चंद्रकला को तलना:
तली चंद्रकला को किचन पेपर पर निकाल लें.
स्वादिष्ट चंद्रकला अब तैयार है परोसने के लिए.
आप चंद्रकला को 2 हफ्ते तक रख सकते हैं एअर टाइट कंटेनर में.
चंद्रकला को तलने के बाद आप उसे ऐसे ही परोस सकते हैं लेकिन तली हुई चंद्रकला ज़्यादा स्वादिष्ट लगती है.
इसके लिए पहले से तैयार चाशनी को गुनगुना गरम करें. आँच बंद करें.
अब इसमें चंद्रकला को डालें.
सब तरफ से चाशनी से कोट करें.
अब चंद्रकला को चाशनी से निकल लें और इसे सर्विंग प्लेट पर रखें.
कटे हुए पिसता से सजाएँ.
आप चाहें तो इसके ऊपर ज़रा सी पिसी इलायची बुरके और एक केसर के धागे से भी सज़ा सकते हैं.
लज़ीज़ चंद्रकला अब तैयार है परोसने के लिए.
By: Ashish Sarabhai