गर्मी में पसीना आना सामान्य प्रक्रिया है क्योंकि पसीना शरीर के तापमान को नियंत्रित रखता है किंतु कुछ लोगों को जरूरत से ज्यादा पसीना आता है या कभी-कभी सर्दियों में भी पनीना आता है तो सचेत हो जाएं।
त्वचा विशेषज्ञ डा. सिमल सोइन के अनुसार इसको हाइपरहाइड्रोसिस कहा जाता है। लगातार पसीना आने से शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की असहजता हो सकती है। शुरूआती हाइपरहाइड्रोसिस से 2 से 3 प्रतिशत आबादी प्रभावित है किंतु 40 प्रतिशत से भी कम लोग डाक्टरी सलाह लेते हैं। इसके ज्यादातर मामलों में कारणों का पता नहीं चल पाता है। हो सकता है कि यह समस्या परिवार में वंशागत हो। यदि अत्याधिक पसीने की शिकायत शरीरिक समस्या के कारण होती है तो इसे सेकेंडरी हाइपरहाइड्रोसिस कहा जाता है। इस समस्या से पीड़ित को ठंडे मौसम में भी पसीना आ सकता है। इससे बचने के उपायों में, बोटॉक्स नामक मशहूर टॉक्सिन टाइप ए का कांख में इस्तेमाल करते हुए पसीने की शिकायत से बचा जा सकता है। यह अतिसक्रिय पसीना ग्रंथि की तंत्रिकाओं को शांत करता है, जिससे पसीना आना कम हो जाता है। बाजुओं में आने वाला पसीना, जिसे प्राइमरी एक्सिलरी हाइपरहाइड्रोसिस कहा जाता है, के लिए बोटॉक्स को एफडीए से मंजूरी मिली हुई है। कम मात्रा में विशुद्ध बोटुलिनम टॉक्सिन का इंजेक्शन बाजुओं में लगाने से पसीने के लिए तंत्रिकाएं अस्थायी रूप से अवरुद्ध हो जाती हैं। इस स्थिति के लिए यह सर्वश्रेष्ठ विकल्प है, जिसे चार महीने तक राहत मिल जाती है और शरीर की दुर्गध से भी निजात मिलती है। चेहरे पर अत्याधिक पसीना आना फोकल हाइपरहाइड्रोसिस का कारण हो सकता है। ऐसी स्थिति में मेसो बोटॉक्स सबसे अच्छा उपाय है। इसमें पसीने की गति कम करने हेतु त्वचा के संवेदनशील टिश्यू में बोटॉक्स के पतले घोल इंजेक्शन के माध्यम से दिया जाता है। अन्य उपायों में एंटीपर्सपिरेंट कारगर है। ज्यादा पसीना आने पर तेज एंटी-पर्सपिरेंट का इस्तेमाल कारगर होता है। बाजुओं में पसीने के शुरूआती इलाज के लिए 10 से 20 प्रतिशत अल्यूमीनियम क्लोराइड हेक्साहाइड्रेट की मात्रायुक्त उत्पादों का इस्तेमाल प्रभावित हिस्सों में रात के समय किया जा सकता है। इसके अलावा कुछ आसान से घरेलू तरीकों को अपनाकर इससे छुटकारा पाया जा सकता है :-
*यदि चेहरे पर बार-बार पसीना आता है तो दिन में चार-पांच बार चेहरे को ठंडे पानी से अच्छी तरह धोकर साफ कपड़े से पौछ लें, इससे पसीना कम आएगा।
*शरीर में जहां, ज्यादा पसीना आता है, उस स्थान पर आलू के पीस काटकर मलें, जिससे पसीना कम आएगा।
*ज्यादा पसीनाग्रस्त लोगों को नमक कम मात्रा में उपयोग करना चाहिए।
*धूप में बाहर जाने से पहले पसीने वाली जगह पर बर्फ रगड़ने से पसीना कम आएगा।
*दिन में कम से कम एक बार टमाटर का जूस पीने से भी पसीना कम आता है।
*चेहरे पर ज्यादा पसीना आने पर खीरे के रस को चेहरे पर लगाएं, इससे पसीने से काफी राहत मिलती है।
*पसीना ज्यादा न आए इसलिए लोग पानी कम पीते हैं, जिसकी वजह से पसीने से ज्यादा गंध आती है। अत: गंध से निजात पाने के लिए पानी ज्यादा पियें।
* साबुत मूंग को हल्का भूनकर उसमें एक चम्मत बिना उबला दूध मिलाकर पेस्ट बना लें और उसे चेहरे पर लगाए, जिससे पसीना कम आएगा।
*पसीने वाले स्थान पर वैक्टीरिया पनपने लगते हैं, जिसकी वजह से बदबू आती है। अत: शरीर की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। नहाने के पानी में चुटकी भर बेकिंग सोडा डालकर नहाने से भी पसीने को काफी नियंत्रित किया जा सकता है
*तेजपत्ता क्लींजर: तेजपत्ते को सखाकर बारीक पीस लें और उबालकर 24 घंटे के लिए छोड़ दें। इस पानी से शरीर के ज्यादा पसीना आने वाले स्थान की सफाई करें।
*ग्रीन टी कम से कम दिन में एक कप अवश्य लें।
Yoga:
शीतली प्राणायाम, चंद्रभेदी प्राणायाम, अनुलोम-विलोम प्राणायाम लाभकारी है ।
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