झारखंड। सरस्वती भवन के सभागार में परम विदुषी साधना दीदी ने अपने प्रवचन में कहा त्याग के बिना कोई भी धर्म जीवित नहीं रह सकता। धर्म तथा केआत्मा को जीवित रखने के लिए त्याग आवश्यक है जो व्यक्ति भगवान के मंदिर और उसके जीर्णोद्धार मैं अपनी चंचल लक्ष्मी का उपयोग करता है, उसके पास कभी भी लक्ष्मी की कमी नहीं होती है। वह हमेशा सुखी रहता है और तरक्की करता है।
जैन धर्म में आज उत्तम त्याग का दिन है आज प्रत्येक व्यक्ति को अपनी-अपनी चंचल लक्ष्मी का त्याग दान देकर कुछ न कुछ रूप में अवश्य करना चाहिए समस्त भोग विलास की वस्तु का त्याग करने वाला ही मुक्ति को प्राप्त कर सकता है। अपने जीवन से बुराइयों का त्याग ही उत्तम त्याग धर्म है हमें अपने जीवन में खराब कार्यों और पापों का त्याग करना चाहिए। तभी मनुष्य जीवन की सार्थकता है हमें अपने बच्चों को हमेशा संस्कारवान बनाना चाहिए धर्म की शिक्षा उसे बचपन से ही देनी चाहिए तब धन संग्रह की आवश्यकता नहीं पड़ती है क्योंकि यदि बच्चा संस्कारवान रहेगा तो धन नहीं है तब भी धन की कमी नहीं होगी परंतु यदि बच्चा खराब प्रवृत्ति का हो हमेशा गलत कार्यों में रहता है। तो अपने पास यदि कुबेर का धन भी हो तो वह भी खत्म हो जाता है।
धर्म के साथ त्याग ही उत्तम त्याग है और पुण्य का कारण है जैन संत अपने पास किसी प्रकार का परिग्रह नहीं रखते यहां तक कि वह अपने कपड़े का भी त्याग कर देते हैं उन्हे जमीन जायदाद घर मकान भाई बंध किसी से मतलब नहीं रहता है। वह हमेशा अपना आत्म कल्याण करते हैं और भक्तों को अपना जीवन सुधारने के लिए और मोक्ष की प्राप्ति कैसे हो का उपदेश देते हैं। यही सच्चा त्याग है त्याग के बिना अपूर्ण है सर्व धर्म हमें अपने जीवन में दिल को त्याग से लगाना पड़ेगा तभी आत्मबल जाग सकता है।
हर मनुष्य को अपने जीवन में ज्ञानदान आहार दान औषधि दान और अभय दान अवश्य करना चाहिए आज सरस्वती भवन में परम पूज्य विदुषी साधना दीदी के मुखारविंद से मंत्रिक जल के द्वारा शांति धारा करने का अवसर मनोज कुमार आदित्य कुमार चूड़ी वाल सुरेंद्र कुमार शैलेश कुमार छाबड़ा रतनलाल राकेश कुमार आदित्य कुमार छाबड़ा अशोक कुमार साकेत कुमार सरावगी सुरेश कुमार नरेंद्र कुमार झंझरी नया मंदिर में श्री लादू लाल धर्म चंद छाबड़ा मुकेश कुमार जी गोधा और विशेष शांतिधारा करने का अवसर जैन युवक समिति के अध्यक्ष राजीव छाबड़ा और मंत्री सुमित सेठी और सभी सदस्यों को मिला।
संध्या में महाआरती में सुबोध गंगवाल ने अपने भजनों से से लोगों को झूमने पर मजबूर किया रात्रि में पंडित अभिषेक शास्त्री ने लोगों को धर्म का ज्ञान पढ़ाया और स्वाध्याय किया सांस्कृतिक कार्यक्रम मिले सुर मेरा तुम्हारा तो सुर बने हमारा भजन प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमें 15 वर्ष के बच्चे से लेकर 70 वर्ष तक के लोगों ने भाग लिया और अपने भक्ति भजनों से लोगों को भक्ति रस मैं आनंदित किया।
भाग लेने वाले और विजेता प्रतियोगी को समाज के अध्यक्ष के द्वारा पुरस्कृत किया गया इस कार्यक्रम के परियोजना निदेशक संजय जी ठोलिया थे जज के रूप में सुबोध गंगवाल और मुकेश पांड्या थे। कार्यक्रम के प्रारंभ में मंगलाचरण आरुषि बाकलीवाल और रिधि ठोलिया ने किया मौके पर जैन समाज के अध्यक्ष मंत्री मौके पर जैन समाज के अध्यक्ष मंत्री जैन महिला समाज की अध्यक्ष मंत्री जैन युवक समिति के सभी सदस्य वार्ड पार्षद पिंकी जैन जैन समाज के मीडिया प्रभारी राजकुमार जैन अजमेरा और नवीन जैन गंगवाल मौजूद थे।