पर्युषण पर्व (दिगम्बर समाज) की शुरुआत भाद्रपद शुक्ल पंचमी (ऋषि पंचमी) से शुरु हो चुके हैं। इस महापर्व के अंतर्गत दिनांक 19 सितंबर 2018 दिन बुधवार को सुगंध दशमी का पर्व है, इस दिन मंदिरों में स्वयं द्वारा किये गये बुरे कर्मो के क्षय करने हेतु तथा साथ ही सांसारिक दृष्टि से उत्तम शरीर की प्राप्ति हेतु भी धूप खेवी जाती है। धूप दशमी के दिन महिलाएं विशेष रूप से पूजा-पाठ, व्रत आदि की पालना करती हैं। इसके अलावा जैन मंदिरों में विशेष प्रवचन होंगे तथा सुगंध दशमी व्रत कथा पढ़ने का साथ सभी जैन जिनालयों में 24 तीर्थंकरों, पुराने शास्त्रों तथा जिनवाणी के सम्मुख चंदन की धूप अग्नि पर खेवेंगे। जैन धर्म में पर्युषण पर्व में भाद्रपद शुक्ला दशमी को सुगंध दशमी का पर्व मनाया जाता है। इसके बारे में कहा गया है कि–
पर्व सुगंध दशै दिन जिनवर पूजै अति हरषाई,
सुगंध देह तीर्थंकर पद की पावै शिव सुखदाई।
अर्थात हे भगवन सुगंध दशमी के पावन दिन सभी तीर्थकरों का पूजन कर मेरा मन हषिर्त हो गया है। धूप की सुगंधित खुश्बू से पूरा वातावरण पवित्र और पावन हो जाता है और भगवान भी खुश होकर मानव को मोक्ष का मार्ग दिखाते हैं। सुगंध दशमी के दिन हिंसा, झूठ, चोरी, परिग्रह, कुशील पांच पापों का त्याग कर व्रत धारण करते हुए चारों प्रकार के आहार का त्याग, मंदिर में जिनेंद्र देव की पूजा-अर्चना, धर्मचिंतन, सामयिक आदि में अपना पूरा समय बिताने का अपना महत्व है। इस दिन श्रद्धालुगण आसपास के सभी जैन मंदिरों में जाकर धूप खेवते हैं और विशेष पूजा अर्चना कर सुगध दशमी का पर्व मनाते हैं। सुगंध दशमी को पूरे दिन पूजा-पाठ, स्वाध्याय, सामायिक के बाद सायंकाल सुगंध दशमी की कथा सुनायी जाती है। पर्यूषण पर्व के कुछ विशेष दिनों में 23 सितम्बर को अनंत चतुर्दशी एवं 24, 25 एवं 26 सितम्बर को परंपरागत तिथियों के अनुसार क्षमावाणी पर्व मनाया जायेगा और इसी के साथ दक्षलक्षण पर्व (पर्युषण पर्व) का समापन होगा।