Ranila Jain Temple – अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा पर्व के शुभ दिवस पर 18 अक्तूबर, 1991 को अतिशय हुआ। गांव रानीला का रणजीत नाम का एक जाट किसान जब किसी के खेत में कस्सी से काम कर रहा था कि टीले की रेत में किसी कठोर वस्तु के दबे होने का उसे एहसास हुआ। सहसा ही उसके हाथ कांपने लगे, रणजीत ने अपने हाथों से कस्सी को छोड़कर रेत को कुरेदना प्रारम्भ किया ही था कि कुछ ही क्षणों में उसे एक सुन्दर पाषाण की शिला दिखाई दी और उसने उस शिला को बाहर निकाल लिया। वास्तव में यह शिला न होकर आद्यप्रणेता युग प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ की प्रतिमा थी – परन्तु रणजीत को इस बात का ज्ञान न था। चन्दन रंग की इस भव्य शिला पर प्रथम तीर्थंकर मूलनायक श्री 1008 भगवान आदिनाथ की अतिशय युक्त प्रतिमा तथा शिला के तीनों ओर तेइस तीर्थंकरों की अष्ट प्रतिहार्य एवं यक्ष-यक्षिणी सहित उत्कीर्ण तथा साथ ही माता चक्रेश्वेरी देवी की अति सुन्दर कला युक्त प्रतिमा वहां से प्राप्त हुई।
प्रतिमा के चुम्बकीय प्रभाव से श्रद्धालु रानीला की ओर खिंचते चले आते है, उनकी मनोकामनाएं पूरी होने लगी। जैन तथा अजैन सभी श्रद्धालु इस क्षेत्र से जुड़ते चले गए। फलस्वरूप इस निर्जन क्षेत्र का विकास होने लगा तथा कम समय में हीं यहाँ एक विशाल भव्य त्रिकूट जिनालय का निर्माण हो गया।
Ranila Jain Temple
An idol of Jain Bhagwan Adinatha with other 23 Jain Tirthankars carved on it was found during the land excavation process at this place on 18-10-1991. An idol of Goddess Chakreshwari Devi is also found here. The Jain Tirth is under development under Sri Adinath Digambar Jain Tirth Kshetra committee.
How to reach:
By Bus: Sanjarwas -4km, Charkhi Dadri -18km
By Train: Upto Charkhi Dadri, 18km from Charkhi Dadri by road. Charkhi Dadri is 135km from Delhi via Rewari and 30km from Bhiwani
By Air: Delhi International Airport 125km
Nearby Places:
Bhiwani -26km,
Rohtak -45km
Ph. 9811082838