जबलपुर। मध्यप्रदेश की हृदय स्थली संस्कारधानी जबलपुर नगर में कुशल मंगल भवन, सदर प्रागंण नवनिर्मित भव्यातिभव्य नयनाभिराम चैमुखा दादावाड़ी की प्रतिष्ठा निमित दिनांक 27 अप्रैल से 1 मई 2018 तक आयोजित पांच दिवसीय महोत्सव का आज मुख्य समारोह अत्यन्त आनन्द व उल्लास के साथ सम्पन्न हुआ।
पांच दिवसीय कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रथम दिन कुंभ स्थापना, दीपक स्थापना, क्षेत्रपाल पूजन, दूसरे दिन नवग्रह, दशदिक्पाल, अष्टमंगल पूजन, महेन्दी वितरण, सांझी, तीसरे दिन सम्यक्त्व बीजारोपण हेतु शासन
प्रभावनामय भव्य रथयात्रा का आयोजन किया गया।
संस्कारधानी जबलपुर नगर में नयनाभिराम चैमुखा दादावाड़ी की प्रतिष्ठा निमित्त रविवार को भव्यातिभव्य रथयात्रा का आयोजन किया गया। प्रतिष्ठा महोत्सव के अंतर्गत शासन प्रभावक, ऋजुमना आचार्य श्री जिनपीयूष सागर सूरीश्वरजी महाराज आदि ठाणा व साध्वी श्री प्रियंकराश्रीजी म.सा., दर्शनप्रभाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा की पावन निश्रा व सान्निध्य में आयोजित रथयात्रा का आगाज कुशल मंगल भवन, सदर हुआ।
ये रहे रथयात्रा के मुख्य आकर्षण-
रथयात्रा में सबसे आगे जैन ध्वज, इन्द्र ध्वजा, ढोल पार्टी, हाथी, ऊंट व घोड़े पर सवारों के हाथ में लहराती
धर्म ध्वजाएं, कच्छी घोड़ी नृतक, अष्ट मंगल, जलधारा, परमात्मा का रथ, दादा गुरूदेव का रथ, बैंड पार्टी के मंगल ध्वनियों का वादन करते बैण्ड वादक और आचार्य भगवंत की धवलसेना, उनके पीछे-पीछे चलते गुरू महिमा का गुणगान करते, जिनशासन की जय-जयकार करते भक्तजन, साध्वी भगवंत, सिर पर मंगल कलश धारण किये महिला मंडल की महिलाएं सहित साफा पहने सैकड़ों श्रावक इस रथयात्रा के मुख्य आकर्षण रहे। वहीं शहरभर में रथयात्रा व गुरू भगवंतों गंहुली के माध्यम से भव्य स्वागत एवं अभिनंदन किया गया। रथयात्रा में बैंड की धुन एवं ढ़ोल की थाप पर गुरूभक्त युवा वर्ग जगह-जगह पर झूमते नजर आये। नाना प्रकार के बाजे गाजे, रंगोली , नर्तकों की मनमोहक प्रस्तुति एवं महाकौशल के पारंपरिक परिधानों से सुसज्जित हजारों नर नारियों की भाव भंगिमा पूर्ण उपस्थिति ने कार्यक्रम को भूतो न भविष्यति की उपमा दे दी।
भक्तिसंगीत गगनभेदी जयकारों एवं दुल्हन की भांति नगर की सजावट ने भक्त जनों के उत्साह में अभिवृध्दि कर रखा था। रथयात्रा का जगह-जगह पर श्रद्धालुओं द्वारा पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया तत्पश्चात प्रतिष्ठा से संबंधित चढ़ावे हुए व रात्रि में राजीव विजयवर्गीय एंड पार्टी डेरा भक्ति संध्या प्रभु भक्ति व गुरु भक्ति के भजनों की प्रस्तुतियां दी गई। व महिला मंडल द्वारा गुरूदेव पर विशेष नाटिका की प्रस्तुति दी गई एवं बालक-बालिकाओं द्वारा दादा गुरूदेव के जीवन चरित्र पर आधारित झांकिया
प्रदर्शित की गई। नवसारी से पधारी हेतलबेन सोनी द्वारा प्रतिदिन परमात्मा व दादा गुरुदेव की भव्य अंगरचना की जाती है।
’इस कार्यक्रम में केंट विधायक अशोक रोहाणी, केंट बोर्ड उपाध्यक्ष अभिषेक चैकसे, कमलेश अग्रवाल, ज्ञान गोलेछा, शरद ओसवाल, प्रकाश कोठारी, मदनलाल जैन, प्रेम बरड़िया कोलकाता, मुंबई,चंद्रपुर, नागपुर,रायपुर, दुर्ग, धमतरी, राजिम, जोधपुर, सिवनी, धनज, आरवी, बालोतरा ,चेन्नई, हैदराबाद एवं महाकौशल प्रदेश की उल्लेखनीय व गरिमामयी उपस्थित ने महोत्सव को विराट बना दिया।
सोमवार व पूर्णिमा का सूर्य नवसंचार के साथ उदित हुआ। प्रसंग था जबलपुर में नवनिर्मित चैमुखा दादावाड़ी में प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा का।
महोत्सव में धार्मिक अनुष्ठान एवं ऊँ पूण्याहं पूण्याहं प्रीयान्ताम्
प्रीयान्ताम् के मंत्रोच्चार एवं विभिन्न मुद्राओं के द्वारा दादा गुरूदेव जिनदतसूरि, जिनचन्द्रसूरि, जिनकुशलसूरि, जिनचन्द्रसूरिजी की प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा की गई।, ऋजुमना खरतरगच्छाचार्य श्री जिनपीयुषसागर सूरिश्वरजी म.सा. आदि ठाणा, की पावन निश्रा व साध्वी श्री प्रियंकराश्रीजी म.सा. व दर्शनप्रभाश्रीजी आदि ठाणा के पावन सान्निध्य एवं अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विधिकारक, जिनशासन रत्न श्री मनोजकुमार बाबुलाल हरण सिरोही के कुशल मार्गदर्शन में भव्य हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुई। दादा गुरूदेव के गादी पर विराजमान होते ही उपस्थित श्रद्धालुगण भक्ति में भावविभोर होकर झूमने लगे। अल प्रातः गाजे-बाजे, ढोल-ढमाके एवं शहनाई की मंगलमय धुनों पर हुई परमात्मा की प्रतिष्ठा में बड़ी संख्या में साधु-साध्वी एवं जैन समुदाय के लोग उपस्थित थे।
प्रतिष्ठा प्रसंग पर आचार्य जिनपीयूषसागरसूरिश्वरजी महाराज ने संबोधित करते हुए कहा कि प्रतिष्ठा का मतलब भावों की भव्यता, आस्था की अस्मिता, श्रद्धा की स्थिरता, भक्ति की शरणता और समर्पण की शुद्धता है।
इस अवसर पर विधिकारक मनोजभाई हरण ने कहा कि प्रतिष्ठा करने का प्रथम श्रैय जिन गुरू भगवंतो को मिला जिन्होंने नमिऊण तीर्थ की कल्पना करके उसको आकार देने का कार्य किया जो तीर्थ सिवनी मध्यप्रदेश में बन रहा है।
आज हमारा परम सौभाग्य रहा जबलपुर की धरती पर सोने का सूरज उगा परम पूज्य आचार्यश्री ने एक ऐसी नींव रखी है कि जब तक धरती पर सूरज-चांद और दरिया में पानी रहेगा तब तक यूषसागरसूरिश्वरजी के नाम को कभी भूल नहीं पायेगें, ऐसा काम किया। मंगलवार को प्रातः 6 बजे द्धारोद्घाटन का कार्यक्रम व तत्पश्चात् दादा गुरूदेव का महापूजन का आयोजन किया गय द्वारोद्घाटन एवं तत्पश्चात् दादा गुरूदेव की बड़ी पूजा के आयोजन के साथ पांच दिवसीय कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। प्रतिष्ठा महोत्सव में सहयोग प्रदान करने वाली सभी संस्थाओं, महिला मंडल, बालिका मंडल सभी का ट्रस्ट मंडल की ओर सेे आभार व्यक्त किया गया।
आचार्य श्री का आगामी चातुर्मास की घोषणा-
श्री नमिऊण पाश्र्वनाथ-मणिधारी जैन श्वेताम्बर ट्रस्ट द्वारा आचार्य श्री के आगामी वर्षावास 2018 का
चातुर्मास नमिऊण तीर्थ में करने की भावभरी विनंती की गई तथा साथ उपधान तप करवाने व तीर्थ परिसर में निर्मित चल मंदिर की प्रतिष्ठा का मुहूर्त प्रदान करने विनंती की गई जिस पर आचार्य भगवंत ने तीर्थ निर्माण की गतिविधियों व आगामी शासन प्रभावना के कार्यक्रमों को ध्यान में रखकर चातुर्मास की स्वीकृति प्रदान की व चल मंदिर की प्रतिष्ठा हेतु 15 जुलाई 2018 का मुहूर्त प्रदान किया। आचार्य भगवंत का चातुर्मास की घोषणा प्राप्त होते ही सम्पूर्ण महाकौशल संघ में हर्ष की लहर व्याप्त हो गई।
सम्मेतशिखर तीर्थ पर शामलिया पार्श्वनाथ की प्रतिष्ठा 3 मार्च को-
सम्मेत शिखर तीर्थ मध्ये सर्वाेधिक प्राचीन तलहटी जिनालय, छः सौ मुमुक्षुओं के दीक्षा प्रदाता, पूर्वी भारत के कल्याणक भूमियों के तीर्थोंद्वारक खरतरगच्छाचार्य श्री जिनहर्षसूरिजी महाराज के वरद्हस्तों से प्रतिष्ठित श्री शामलिया पाश्र्वनाथ परमात्मा के जिनालय का आमूलचूल जिर्णोद्वार प्रवर्तिनी श्री चन्द्रप्रभाश्रीजी म.सा. की प्ररेणा व निश्रा में शासन रत्न मनोजकुमार हरण के विधि-विधान में प्रारंभ हुआ जो विभिन्न पेढ़ियों सम्पन्न हुआ है। उसी के परिणाम स्वरूप धवल-विमल पाषाण में बेजोड़ शिल्पकला
युक्त नयनाभिराम जिनालय का कार्य सम्पन्न हुआ है। श्री जैन श्वेताम्बर सोसायटी मधुवन के समस्त पदाधिकारीगण व समस्त जिनशासन अनुरागियों ने आचार्य भगवंत से आग्रहभरी विनंती की कि सिद्धक्षेत्र के इस तीर्थ स्वरूप जिनालय की अंजनशलाका-प्रतिष्ठा आपश्री के पुनीत वरद् हस्तों से सम्पन्न करवाये व अंजनशलाका-प्रतिष्ठा का मुहूर्त उद्घोषणा एवं नवनिधिपूरक निश्रा प्रदान करने की स्वीकृति प्रदान करावे जिस पर आचार्य श्री ने ट्रस्ट की विनंती स्वीकार कर आगामी 3 मार्च 2019 को अंजनशलाका-प्रतिष्ठा का मुहूर्त की उद्घोषणा की।
चन्द्रप्रकाश बी. छाजेड़