आपको यह जानकर अजीब लगेगा कि मध्य प्रदेश के शिवपुरी से 31 किमी दूर एक ऐसा जैन मंदिर है, जहां भक्त पत्थर मारकर भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं। नौंवी शताब्दी के इस जैन मंदिर में भगवान शांतिनाथ, कुंथुनाथ एवं अरहनाथ की लगभग 1200 वर्ष पूर्व प्राचीन प्रतिमान विराजित हैं। भक्तों द्वारा पत्थर मारकर भगवान की पूजा करने से ये प्राचीन प्रतिमाएं क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। इस प्रतिमाओं को बचाने के लिए जैन समाज द्वारा एक चारदीवारी बनाकर लोहे के जंगले से बंद कर ताला लगा दिया है। अब मंदिर को भक्तों की पूजा-अर्चाना हेतु स्वयं एक पुजारी समाज की सामूहिक मौजूदगी में लोहे के दरवाजे को खोलते हैं और पूजा-अर्चना सम्पन्न होने के बाद मंदिर में ताला डाल दिया जाता है।
मंदिर के आसपास के गावों की मान्यता है कि पत्थर मारकर भगवान से जो मनौती मांगी जाती है, वह अवश्य पूरी होती है। भक्तों की इस आस्था के चलते ये दुलर्भ प्रतिमाएं क्षतिग्रस्त हो गई हैं। यहां के भक्तों को यहां तक विश्वास है कि किसी भी व्यक्ति को कितना भी तेज पेट दर्द हो, वह मंदिर पहुंचकर भगवान की प्रतिमाओं को पत्थर मार दे, इससे उसकी तखलीफ तत्काल दूर हो जाती है तथा आगे उसको किसी तरह का कोई भी दर्द कभी नहीं होगा। इन दुलर्भ प्रतिमाओं में भगवान शांतिनाथ समेज दो अन्य प्रतिमाओं पर ध्यान से देखने पर चेचक जैसे दाग नजर आते हैं। जैन मंदिर ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष राजाराम जैन ने बताया कि 9वी एवं 10वीं शताब्दी में सेठ पाड़ा शाह ने ये मंदिर शिवपुरी, गुना और अशोक नगर में बनवाए गये थे और ये मंदिर आज भी ठीक हालत में है।