इंदौर, गुमाश्ता नगर के छलजानी परिवार की दो सगी बहनें जीवन के क्षणभंगुर सांसारिक सुख-सुविधा, भौतिकता का त्याग कर आत्म साधना से आत्मचिंतन हेतु वैराग्य की राह पर चलने जा रही हैं। धन्य है वह परिवार और धन्य है उनका संस्कार, जिसकी दो सगी पुत्रियां खो रही समाज में संस्कृति की रक्षा एवं मानव स्वार्थ की बुरी प्रवृत्ति को दूर करने हेतु साध्वी बनने जा रही हैं। विज्ञान संकाय से एमएससी की उच्च शिक्षा प्राप्त 32 वर्षीय तृप्ति जैन एवं 30 वर्षीय प्रियंका जैन जैन धर्म के मुख्य सिद्धांत सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह और जीव दया से प्रभावित होकर 23 नवम्बर को गुमाश्ता नगर के जैन मंदिर में जैनाचार्य जिनचंद्र सागर एवं हेमचंद्र सागर के पावन सानिध्य में साध्वी की दीक्षा लेंगी।
रेसकोर्स रोड स्थित नवकार आगमोद्वार वाटिका में दोनों सगी बहनों के अपने परिजन के साथ पहुंचकर परंपरागत परिधान एवं रस्मों के साथ यह घोषणा की तो पूरा सभागृह जयघोष से गूंज उठा। भौतिकता से वैराग्य की राह पर निकलने वाली प्रियंका ने बताया कि आज के दौर में समाज की जीवनशैली बदल चुकी है। लोगों में स्वार्थ की भावना बढ़ी है साथ ही मनुष्ट अपनी संस्कृति को ही भूलता जा रहा है। आज मनुष्य पैसे के पीछे सभी को बौना करता चला जा रहा है। इसलिए यही कारण है कि समाज में अपना सकारात्मक योगदान देने के लिए उन्होंने यह संकल्प लिया है। बता दें कि दोनों बहनो ने एक ही कॉलेज में शिक्षा ग्रहण की है।