जैन संत आचार्यश्री विद्यासागर महाराज केश लोच क्रिया होने पर शुक्रवार को मौन साधना में रहे। आहारचर्या भी नहीं की और उपवास रखा। उन्होंने दिनभर में केवल दो बार मुनियों व साधकों की कक्षा में बोलने के लिए ही मौन व्रत खोला। आलाप पद्धति ग्रंथ की वाचना की क्लास लगाकर उन्होंने बताया कि वातावरण और परिस्थितियों का ध्यान रखते हुए कब कहां कैसा और कितना बोला जाए। उन्होंने शब्दों और मधुर वाणी से दूसरों के दुखों को किस तरह कम कर सकते हैं, यह भी बताया। कषाय पा ग्रंथ पढ़ाते हुए मुनियों को आत्मा के भेद बताए।
चातुर्मास समिति के अध्यक्ष प्रमोद हिमांशु ने बताया कि आचार्यश्री की आज केश लोच प्रक्रिया हुई। अधिकांश समय वे मौन साधना में रहे। बावजूद इसके उनके दर्शन करने वालों का तांता लगा रहा। उन्होंने सुबह और शाम को नियमित कक्षाएं लगाईं। इनमें उन्होंने मुनियों व साधकों के प्रश्नों के उत्तर भी दिए। ब्रह्मचारी अविनाश जी ने बताया कि आलाप पद्धति ग्रंथ के माध्यम से आचार्यश्री ने न केवल मुनियों, साधकों बल्कि कक्षा में मौजूद आमजनों को भी बोलचाल की उत्तम शैली के बारे में जानकारी दी। उन्होंने अनंत दर्शन, अनंत ज्ञान व अनंत सुख पर चर्चा करते हुए ज्ञानावरण कर्म के बारे में बताया। इसी तरह कषाय पाहुड़ ग्रंथ की चर्चा में संघ के मुनियों को विभाव व स्वभाव के भेद बताकर उन्होंने कहा कि विभाव का क्षेत्र है, वहां स्वभाव नहीं हो सकता। राग रहेगा तो वीतराग नहीं होगा।
आचार्यश्री हबीबगंज जैन मंदिर में चातुर्मास कर रहे हैं। शहर की मंदिर कमेटियां प्रयास कर रही हैं कि आचार्यश्री एक दिन के लिए उनके मंदिर पधारें। माना जा रहा है कि चातुर्मास के दौरान आचार्यश्री चौक जैन मंदिर समेत कुछ अन्य जिनालयों में जाकर तीर्थंकरों के दर्शन करने के साथ प्रवचन भी देंगे।
रविवार को सुभाष स्कूल में होंगे प्रवचन
प्रवक्ता अंशुल जैन ने बताया कि शनिवार को आचार्यश्री के हबीबगंज जैन मंदिर में सुबह 7.45 बजे से प्रवचन होंगे। रविवार को उनकी विशेष प्रवचन सभा सात नंबर अरेरा काॅलोनी स्थित सुभाष स्कूल में दोपहर 2.30 बजे से होगी। वहीं, वित्त विभाग के वरिष्ठ अधिकारी नितिन नांदगांवकर ने बताया कि आचार्यश्री के नाम पर चल रही गौ संवर्धन योजना संबंधी जानकारी विशेष प्रवचन सभाओं में प्रचार बुकलेट वितरित कर की जाएगी।
दीक्षा महोत्सव 6 अगस्त को
दीक्षा महोत्सव 6 अगस्त को मनाया जाएगा। इसमें आचार्यश्री के संघ के 23 मुनि आचार्यश्री की वंदना करेंगे। यह वे मुनि हैं, जिन्होंने इस दिवस पर अलग-अलग वर्षों में आचार्यश्री से दीक्षा ली थी।
- Bhaskar