राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की बैठक में जैन धर्म और संस्कृति के संरक्षण के लिए श्रमण संस्कृति एक्ट बनाने की अपील


जयपुर l राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग नई दिल्ली में देश भर के जैन समुदाय के संगठनों की आयोजित बैठक में राजस्थान राज्य से पहुंचे प्रतिनिधि मण्डल ने जैन धर्म और तीर्थो को सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रभावी ढंग से रखी जिसमें प्राकृत भाषा,जैन तीर्थ क्षेत्रों गिरनार,सम्मेद शिखर और अन्य जैन तीर्थो की सुरक्षा,संरक्षण और मांस मदिरा सख्त निषेध,जैन संतो के विहार,निहार और उनकी चर्या की सुरक्षा,चातुर्मास हेतु भूमि आवंटन, जैन मंदिरों की संपत्तियों पर अवैध कब्जों से मुक्ति जैसे कई मुद्दों पर गंभीरता से अपनी बात रखी।

वरिष्ठ समाजसेवी महेंद्र पारख ने बताया की राजस्थान सरकार के द्वारा जैन संतो की सुरक्षा हेतु और उनके विहार,चातुर्मास के समय भूमि के आवंटन के आदेश के बारे में बताया l

इस अवसर पर रवि जैन तथा लोकेश जैन ने बताया की श्रमण संस्कृति कानून भारत सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा बनाये जाने की मांग करते हुए अल्पसंख्यक मंत्रालय के राज्यमंत्री जार्ज कुरियन और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्य इकबाल सिंह लालपुरा,धन्य कुमार जिनप्पा गुंडे (जैन सदस्य) को को ज्ञापन सौंपा गया।

राजस्थान समग्र जैन युवा परिषद् के सलाहकार ज्ञानचन्द जैन (पूर्व तहसीलदार) और अध्यक्ष जिनेन्द्र जैन ने बताया कि जैन श्रमण संस्कृति कानून बनने से जैन श्रमण संस्कृति का सहिंताकरण होगा और प्राकृत भाषा,संलेखना,दिगम्बर मुनि का नग्न अवस्था धारण करना,उनके द्वारा खुले में शौच,जैन धर्म के सिद्ध क्षेत्रो, अतिशय क्षेत्रों,प्राचीन जिन मंदिरों , नसियां पर अवैध अतिक्रमण से मुक्ति, संरक्षण हेतु देश के सभी राज्यों में श्रमण संस्कृति बोर्ड का गठन अनिवार्य होगा और इस बोर्ड का वैधानिक अस्तित्व सम्पूर्ण राष्ट्र में लागू होगा।

जैन बैंकर्स फॉर्म के अध्यक्ष भागचन्द जैन ‘मित्रपुरा’ ने बताया कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की इस बैठक में राजस्थान भारत भूषण,जय कुमार जैन,डॉ. पी.सी जैन हैं,प्रवीण बड़जात्या आदि कई लोग उपस्थित थे ।

— जिनेन्द्र जैन


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