मुरैना। जैनाचार्य अभीक्षण ज्ञानोपयोगी आचार्य श्री वसुनंदी जी महाराज के पावन सान्निध्य में फिरोजावाद नगर में नवदीक्षित आर्यिका क्षमानंदनी माताजी का संल्लेखना समाधि पूर्वक देवलोक गमन हुआ। जैन दर्शन में अष्ट कर्मों का उल्लेख है, जिनमें से एक आयु कर्म भी है । आयु कर्म के पूर्ण होने को ही हम मरण कहते हैं। आत्मा तो अजर अमर है किन्तु आयु कर्म पूर्ण होने पर शरीर बदल जाता है । यदि आत्मा सरल परिणाम के साथ राग द्वेष को तज कर शांत परिणाम से इस नश्वर शरीर से गमन करती है तो उसे ही सल्लेखना समाधि कहते हैं ।
वर्तमान में सुहाग नगरी फिरोजाबाद में अभिक्षण ज्ञानोपयोगी आचार्य श्री 108 वसुनंदी जी महाराज के आशीर्वाद से गोहद निवासी श्री स्वरूप चंद्र जी की पुत्रवधू श्रीमती बीनू जैन धर्म पत्नी श्री महेश चंद्र जैन बंटी हाल निवासी गौतम नगर दिल्ली का स्वास्थ्य कुछ समय से खराब चल रहा था । कुछ दिन पूर्व जब डॉक्टरों ने मना कर दिया कि अब हमारे पास इनको बचा पाना संभव नही है और उन्हें घर ले जाने को कहा तो श्रीमती बीनू जैन ने अपने इस नश्वर शरीर को छोड़ने से पहले संलेखना धारण करने की इच्छा व्यक्त की । तब उन्हें सेठ छदामीलाल जी जैन मंदिर फिरोजाबाद प्रांगण में परम पूज्य आचार्य श्री 108 वसुनंदी जी महाराज के पास ले जाया गया । आचार्य श्री ने उन्हें संघ में सानिध्य देकर सप्तम प्रतिमा के व्रत देकर ब्रह्मचारिणी संयम प्रभा दीदी नाम दिया और उन्हें सोलहकारण पर्युषण पर्व के पावन अवसर पर 16 सितम्बर 2024 सोमवार को क्षुल्लिका दीक्षा देकर श्री 105 सर्वज्ञनंदनी नाम दिया । पूज्य क्षुल्लिका तभी से सल्लेखनारत थीं । क्षमाबाणी पर्व पर 18 सितम्बर को पूज्य आचार्यश्री वसुनंदी जी महाराज ने आपको आर्यिका दीक्षा देते हुए क्षमानंदिनी नामकरण किया।
ज्ञात हो श्रीमती बीनु जैन स्व. श्री पन्नालाल जी अगरैया निवासी मुरार की नातिनी, स्व. श्रीमति व्रजेश स्व.श्री महेश चंद्र जी की पुत्री है व श्री दिनेश चंद्र जी की भतीजी थीं। आपका ननिहाल श्री भोलाराम जमुना दास जी चडोसिया धौलपुर के यहां था । आपकी शादी 1999 में सम्पन्न हुई थी। आपका दिनांक 25 सितंबर 2024 क्वार वदी अष्टमी को सल्लेखना पूर्वक समाधी मरण हो गया । आप स्याद्वाद युवा क्लब ग्रीन पार्क सेगमेंट सदस्य श्री श्रेयांस जैन की ग्रहस्थ अवस्था की माताजी थी।
— मनोज जैन नायक