प्रशममूर्ति आचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज (छाणी) परम्परा के प्रमुख संत परम पूज्य आचार्य श्री 108 अतिवीर जी मुनिराज का राजस्थान की पुण्यधरा पर प्रथम बार अतिशय क्षेत्र देहरा तिजारा में विशाल शोभायात्रा के साथ भव्य मंगल प्रवेश हुआ। आचार्य श्री का रेवाड़ी में मंगल चातुर्मास के पश्चात् तिजारा के लिए मंगल विहार हुआ। विशाल शोभायात्रा के सम्पूर्ण मार्ग में तोरण द्वार, स्वागत पट्टिकाएं, ध्वजाएं, रंगोली आदि सुशोभित थे। मार्ग पर जगह-जगह घरों व प्रतिष्ठानों के बाहर आचार्य श्री का पाद-प्रक्षालन व आरती कर भावभीना स्वागत किया गया।
समस्त जैन समाज में पूज्यश्री के आगमन से अत्यंत उत्साह व उमंग थी। भव्य प्रवेश शोभायात्रा जैन पैट्रोल पम्प से प्रारंभ होकर श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर पहुंची जहां से मेन बाजार से होते हुए देहरे वाले बाबा के दरबार में पहुंचकर धर्मसभा में परिवर्तित हुई। रेवाड़ी, अलवर, गुरुग्राम, दिल्ली व निकटवर्ती क्षेत्रों से पधारे अतिथियों का स्थानीय कमिटी द्वारा अभिनन्दन किया गया।
विशाल धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए पूज्य आचार्य श्री ने कहा कि जीवन क्षणभंगुर है। संसार में जन्म लिया है मृत्यु भी निश्चित है। जीवन भर जिस परिवार के लिए व्यवस्था बनाते रहे, मृत्यु आने पर वह परिवार तुरंत ही घर से बाहर कर देंगे। इसलिए जीवन में शीघ्र ही सद्मार्ग पर आना चाहिए और आत्मकल्याण की ओर अग्रसर होना चाहिए। उल्लेखनीय है कि प्राचीन जैन मन्दिर में आचार्य श्री के पावन सान्निध्य में नूतन जिनबिम्ब विराजमान समारोह एवं भव्य रथयात्रा का आयोजन दिनांक 9 से 11 दिसम्बर तक किया जा रहा है।