ग्वालियर। गणिनी आर्यिका विशुद्धमति ने 53 वर्ष बाद गृहनगर में चातुर्मास करने के लिए के नौ सदस्यीय संघ के साथ नगर में प्रवेश किया। शहर के प्रमुख मार्गों पर गुरुवार की सुबह विशुद्धमति माता व उनके संघ का इंदरगंज जैन मंदिर से नई सड़क चंपाबाग बगीची तक धूम-धाम और गाजे-बाजे के साथ नगर में भ्रमण किया। प्रमुख मार्गों पर आरती उतारकर विशुद्धमति माता का अभिवादन किया।
विशुद्धमति माता के चातुर्मास को लेकर महिलाओं में विशेष उत्साह है। सड़क पर रंगोली निकाली। महिला संघ के भ्रमण के दौरान उत्साह व उमंग के साथ आगे चल रहीं थीं। महज 14 वर्ष की अल्पायु में ब्रह्मचर्य व्रत लेने व 21 वर्ष में दीक्षा लेकर साधना में लीन होने वाली देश की प्रथम गणिनी आर्यिका है।
जैन समाज के लोगों ने विशुद्धमति माता जी का जैन धर्म की परंपरा के अनुसार जगह-जगह स्वागत किया। चल समारोह में महिलाओं ने डांडिया व भक्ति नृत्य किया। एक्टिवा रैली निकाली, पुष्प वर्षा की। पंचरंगा ध्वजाएं लेकर महिलाएं आगे-आगे चल रहीं थी। विशुद्धमति माताजी के चातुर्मास के लिए जैन समाज के अलग-अग संगठनो ने जिम्मेदारी ली है। विशुद्धमति माता के शहर में चतुर्मास करने से जैन समाज में काफी उत्साह है। खासबात यह है कि विशुद्धमति माता ग्वालियर की ही रहने वाली हैं और वैराग्य लेने के बाद पहली बार ग्वालियर में आई हैं।
माताजी का संघ ने बुधवार को आनंदनगर जैन मंदिर में पदविहार करते हुये पहुंचा था। विशुद्धमति गुरुवार तड़के आनंद नगर से पदविहार करते हुये इंदरगंज जैन मंदिर पहुंची। जहां महिलाओं ने रंगोली बनाकर विशुद्धमति का स्वागत किया। यहां से संघ का चल समारोह शुरू हुआ। चल समारोह डीडवाना ओली होते हुए महाराज बाड़ा, मोर बाजार, दाना ओली, नई सड़क चंपाबाग बगीची पहुंचा। चल समारोह में बैंड-बाजे के साथ समाज की महिलाएं भारी संख्या में शामिल थी।