मिथिलापुरी तीर्थ पर जल्द ही विराजमान होगी सवा ग्यारह फुट ऊँची तीन भव्य पद्मासन जिन प्रतिमायें…


मिथिलापुरी, जनकपुर रोड (सुरसंड/सीतामढ़ी)। जैन इतिहास का स्वर्णिम दिन 09/05/2022 जिसे कभी भी जैन धर्मावलंबी नही भूल पायेंगे। क्योंकि दो दिन पूर्व ही भगवान मल्लिनाथ स्वामी एवं भगवान नमिनाथ स्वामी की 4-4 कल्याणक (गर्भ, जन्म, तप एवं केवलज्ञान) से सुशोभित पावन भूमि “श्री मिथिलापुरी जी तीर्थ” की पुनर्स्थापना आचार्य पुष्पदंत सागर जी महाराज के सुयोग्य शिष्य आचार्य श्री 108 प्रमुख सागर जी महाराज ससंघ सानिध्य में विभिन्न आयोजनों के साथ संपन्न की गई।

सम्पन्न हुए इस वेदी प्रतिष्ठा एवं प्रथम जिनबिंब स्थापना समारोह में तीन बहुत ही सुंदर एवं अतिशयकारी प्रतिमाओं सहित 5 इंच की दो रत्नों की प्रतिमा लघु पंचकल्याणक कराकर तीर्थ पर स्थापित कर दी गयी हैं। मिथिलाधाम तीर्थ पर जल्द ही सवा ग्यारह फुट ऊँची कमल सहित भगवान आदिनाथ स्वामी, भगवान मल्लिनाथ स्वामी एवं भगवान नमिनाथ स्वामी की मनोहर प्रतिमा गणिनी आर्यिका 105 श्री ज्ञानमती माता जी के आशीर्वाद एवं भट्टारक रविन्द्रकीर्ति स्वामी जी के निर्देशन में वेदी निर्माण के पश्चात स्थापित की जायेगी।

‘मिथिलाधाम तीर्थ’ स्थापना की खबर सुनकर प्राप्त हुआ सभी का मंगल आशीर्वाद…

जैन समाज में इस कार्यक्रम के सम्पन्न होने की खुशी के साथ – साथ अनेक आचार्यों, मुनिगणों, आर्यिका माता जी का खूब आशीर्वाद मिला तथा समाज के सभी श्रेष्ठजनों की शुभकामनाएं भी बिहार स्टेट दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमिटी के मानद मंत्री श्री पराग जी जैन को मिल रही है। जिनके अथक प्रयास से ही आज मिथिलापुरी जी तीर्थ निर्माण का कार्य सम्पन्न हो पाया है।

आचार्य श्री प्रमुख सागर जी महाराज ने सभी प्रान्तों के जैन समाज से की अपील…

आचार्य गुरुवर ने मिथिलापुरी जी तीर्थ से विहार करने से पूर्व सभी प्रान्तों के जैन समाज से अपील किया । उन्होंने कहा कि आप सभी एक बार “मिथिलापुरी तीर्थ दर्शन को अवश्य पधारे। क्योंकि जैन इतिहास में यही आठ कल्याणक तीर्थ बचा रह गयी था जिसकी पुनर्स्थापना नही हो पाई थी जिससे हमसभी तीर्थ दर्शन को आजतक वंचित रह गये थे।

मिथिलापुरी तीर्थ निर्माण में अधिक से अधिक सहयोग कर पुण्यार्जन के साथ दर्शन लाभ का अवसर प्राप्त करें।

— रवि कुमार जैन


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