वर्तमान चौबीसी पूजा स्तवन – Vartmaan Choubisi Pooja stavan


वंदूं पाँचों परमगुरु सुरगुरु-वंदत जास |
विघनहरण मंगलकरण, पूरन परम-प्रकाश |१|

चौबीसों जिनपति नमूं, नमूं शारदा-माय |
शिवमग-साधक साधु नमि, रच्यो पाठ सुखदाय |२|
नामावली-स्तोत्र
जय जिनंद सुखकंद नमस्ते, जय जिनंद जितफंद नमस्ते |
जय जिनंद परबोध नमस्ते, जय जिनंद जितक्रोध नमस्ते |१|

पाप-ताप-हर-इंदु नमस्ते, अर्हवरन-जुतबिंदु नमस्ते |
शिष्टाचार-विशिष्ट नमस्ते, इष्ट-मिष्ट-उत्कृष्ट नमस्ते |२|

परम-धर्म-वर-शर्म नमस्ते, मर्म भर्म-हन धर्म नमस्ते |
दृग-विशाल वर-भाल नमस्ते हृदि-दयाल गुण-माल नमस्ते |३|

शुद्ध-बुद्ध अविरुद्ध नमस्ते, रिद्धि-सिद्धि वरवृद्धि नमस्ते |
वीतराग-विज्ञान नमस्ते, चिद्विलास धृतध्यान नमस्ते |४|

स्वच्छ-गुणांबुधि-रत्न नमस्ते, सत्त्व-हितंकर यत्न नमस्ते |
कुनयकरी मृगराज नमस्ते, मिथ्या-खगवर-बाज नमस्ते |५|

भव्य-भवोदधितार नमस्ते, शर्मामृत-सितसार नमस्ते |
दरश-ज्ञान-सुख-वीर्य नमस्ते, चतुरानन धरधीर्य नमस्ते |६|

हरि हर ब्रह्मा विष्णु नमस्ते, मोहमर्द्द-मनु जिष्णु नमस्ते |
महादान महभोग नमस्ते, महाज्ञान महजोग नमस्ते |७|

महा-उग्र-तप सूर नमस्ते, महा-मौन गुणभूरि नमस्ते |
धरम-चक्रि वृष-केतु नमस्ते, भवसमुद्र-शतसेतु नमस्ते |८|

विद्यार्इश मुनीश नमस्ते, इंद्रादिक-नुत शीष नमस्ते |
जय रतनत्रय-राय नमस्ते, सकल-जीव-सुखदाय नमस्ते |९|

अशरन शरन-सहाय नमस्ते, भव्य सुपंथ लगाय नमस्ते |
निराकार साकार नमस्ते, एकानेक-अधार नमस्ते |१०|

लोकालोक-विलोक नमस्ते, त्रिधा सर्व गुणथोक नमस्ते |
सल्ल-दल्ल दल-मल्ल नमस्ते, कल्लमल्ल जित-छल्ल नमस्ते |11|

भुक्ति-मुक्ति दातार नमस्ते, उक्ति-सुक्ति-श्रृंगार नमस्ते |
गुण-अनंत भगवंत नमस्ते, जै जै जै जयवंत नमस्ते |12|
।। इति पठित्वा जिनचरणाग्रे परिपुष्पांजलिं क्षिपेत् ।।


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