म्हारा चन्द्रप्रभु जी की सुंदर मूरत, म्हारे मन को भाई जी
सावन सुदी दशमी तिथि आई, प्रगटे त्रिभुवन राई जी
म्हारा चन्द्रप्रभु जी की सुंदर मूरत, म्हारे मन को भाई जी
अलवर प्रान्त में नगर तिजारा, दरसे देहरे माहीं जी
सीता सती ने तुमको ध्याया, अग्नि में कमल रचाया जी
म्हारा चन्द्रप्रभु जी की सुंदर मूरत, म्हारे मन को भाई जी
मैना सती ने तुमको ध्याया, पीटीआई का कुष्ट मिटाया जी
सोमा सती ने तुमको धयाया, नाग का हार बनाया जी
म्हारा चन्द्रप्रभु जी की सुंदर मूरत, म्हारे मन को भाई जी
मानतुंग मुनि ने तुमको ध्याया, तालों को तोड़ भगाया जी
अंजन चोर ने तुमको ध्याया, सूली से अधर उठाया जी
समवशरण में जो कोई आया, उसको पर लगाया जी
म्हारा चन्द्रप्रभु जी की सुंदर मूरत, म्हारे मन को भाई जी
ठाडो सेवक अर्ज करे है, जामन-मरण मिटाओ जी
हम सब भगवन तुमको ध्यायें, बेडा पार लगाओ जी
म्हारा चन्द्रप्रभु जी की सुंदर मूरत, म्हारे मन को भाई जी