मंगल मूर्ति परम पद, पंच धरौं नित ध्यान |
हरो अमंगल विश्व का, मंगलमय भगवान |१|
मंगल जिनवर पद नमौं, मंगल अरिहन्त देव |
मंगलकारी सिद्ध पद, सो वन्दौं स्वयमेव |२|
मंगल आचारज मुनि, मंगल गुरु उवझाय |
सर्व साधु मंगल करो, वन्दौं मन वच काय |३|
मंगल सरस्वती मातका, मंगल जिनवर धर्म |
मंगल मय मंगल करो, हरो असाता कर्म |४|
या विधि मंगल से सदा, जग में मंगल होत |
मंगल नाथूराम यह, भव सागर दृढ़ पोत |५|